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दिल के महलो पर वैसे तो सख्त पहरा होता है,

मेरी डायरी के पन्ने
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दिल के महलो पर वैसे तो सख्त पहरा होता है,
पर ये इश्क़ भी तो अँधा और बहरा होता है,

नफरत की खेती होती नहीं दीवानगी में कभी,
हर फूल खिल जाये, ये वो सहरा होता है,

इश्क़ सच्चा हो तो रब से भी ज़्यादा सोना और,
खूबसूरत मोती से भी ज़्यादा सुनहरा होता है,

छोड़ जाता है छाप दुश्मनो के भी दिल पर,
प्यार से मनाने का असर गहरा होता है,

ये इश्क़ भी अजीब सी फितरत रखता है अपनी,
देने लगे तो दाता, लेले लगे तो लुटेरा होता है,

रंग में हो तो ये ज़िंदगी हंसी बना देता है पर,
इसके तीर का जख्म भी बहुत गहरा होता है,

दिल के महलो पर वैसे तो सख्त पहरा होता है,
पर ये इश्क़ भी तो अँधा और बहरा होता है,

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